मौखिक
(क) बाबा नंद के घर का आँगन कैसा हैं?
उत्तर- बाबा नंद के घर का आँगन सोने से बना है, जिसमें मणियाँ जड़ी हुई हैं |
(ख) श्रीकृष्ण, रहे अपनी परछाई को क्यों पकड़ रहे हैं?
उत्तर- अपने साथ दूसरे बच्चे के भ्रम में ही श्रीकृष्ण अपनी परछाई पकड़ रहे हैं |
(घ) माता यशोदा कृष्ण के किस रूप पर मोहित है?
उत्तर-माता यशोदा कृष्ण के बाललीला बचपन के खेल और उनके सुन्दर रूप पर मोहित हैं।
इन अर्थों की पंक्तियाँ पदों से चुनकर उच्च स्वर में पढ़िए-
(i) जिसकी कृपा से अपंग (लंगड़ा) व्यक्ति पर्वत को पार कर लेता है और अंधे को सबू कुछ दिखाई देने लगता है, मैं उस प्रभु के कमल-रूपी चरणों की वंदना करता हूँ।
उत्तर — जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे को सब कछु दरसाई |
बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोले, रंकचलै सिर छत्र धराई।
सूरदास स्वामी करूँनामय, बार- बार बंदौ तिहिं पाई।
(ii) कभी तो बाल कृष्ण अपनी ही छाया को देखकर उसे हाथ से पकड़ना चाहते हैं, और कभी उसे बार-बार देखकर किलकारी मारते हैं। इससे उनके दो छोटे- छोटे दाँत बहुत सुंदर लगते हैं।
उत्तर- कबहुँ निरखि हरि आयु छाँह कौं कर सौं पकरन चाहत |
किलकि हंसत साजति दवै दतियाँ, पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत ||
लिखित
(क) कवि ने प्रभु के प्रताप का वर्णन क्या कहकर किया है?
उत्तर — कवि ने प्रभु के प्रताप का वर्णन करते हुए कहा है कि उनकी कृपा से असंभव कार्ये भी संभव हो जाते हैं। गूंगा बोलने लगता है, अंधा देखने लगता हैं, लंगड़ा दौड़ने लगता है और बहरा सुनने लगता है ।
ख) सूरदास ने प्रभु को करुणामय क्यों कहा है?
उत्तर- सूरदास ने प्रभु को करुणामय कहा हैं क्योंकि उसकी कृपा से अँधे देखने लगते हैं, गूंगे बोलने लगते है, बहरे सुनने लगते हैं और लगड़ा दौड़ने लगता है।
(ग) दूसरे पद में वर्णित श्रीकृष्ण की बाल छवि अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर- नन्द बाबा का आंगन जो मणियों जड़ा से हुआ है, श्री कृष्ण उसमें घुटनों के बल दौड़ रहे हैं| जब वे मणियों में अपनी परछाई देखते हैं तो उसे दूसरा बालक समझ उसे पकड़ने की कोशिश करते हैं | जब कृष्णा किलकारी मारकर हँसते है तो उनके दो दाँत बड़े सुन्दर लगते है। कृष्ण अपने इस रूप मे बहुत ही सुन्दर लगते हैं।
(घ) कवि ने माता यशोदा के वात्सल्य का किस प्रकार वर्णन किया है?
उत्तर — कवि ने माता यशोदा के वात्सल्य का वर्णन करते हुए कहा कि जब यशोदर कृष्ण को आँगन में, किलकारिया मारते हुए खेलते देखती हैं और उसके हंसने से उनके दो नन्हे दाँत दिखते हैं जो कृष्ण की सुन्दरता और चंचलता को बढ़ाते है। तब उसकी सुन्दरता और चंचलता देख यशोदा का प्रेम कृष्ण पर उमड़ पड़ता है, और वह उसे अपनी आँचल से ढाँक लेती है।
(ङ) अर्थ लिखिए
(i) बहिरौ सुनै, गूँग पूनि बौले, रंक छत्र धराई |
उत्तर- श्री कृष्ण की मुहिमा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। बहरे सुनने लगते हैं, गूंगे बोलने लगते हैं और गरीब अमीर बन जाता है और अपने सर पर छत धारण कर चलने लगता है।
(ii) मनिमय कनक नंद कैं आँगन बिंब पकरिबैं धावत ||
उत्तर — बाबा नंद का आँगन जो मणियों से बना हुआ है उसमे जब श्री कृष्ण अपनी परछाई देखते हैं तो दूसरा बालक समझ अपनी ही परछाई को पकड़ने के लिए दौड़ते हैं।