मौखिक
Q1 परिवार के निर्वाह का क्या साधन था?
उत्तर- सहिजन का पेड़ परिवार के निर्वाह का साधन था|
Q2 कुँजड़िन ने सहिजन के दाम कम देने का क्या कारण बताया?
उत्तर- कुँजड़िन ने सहिजन के दाम कम देने का कारण बताया, “आजकल सहिजन की माँग नहीं है, मुझे भी बाज़ार में लाभ नही मिलता |”
Q3 भाइयों के लिए नौकरी करना क्यों आवश्यक हो गया था?
उत्तर- भाइयों के लिए नौकरी करना आवश्यक हो गया था क्योंकि परिवार का एकमात्र सहारा सहिजन का पेड़ काट दिया गया था।
Q4 एक वर्ष में कुलीन परिवार की दशा अच्छी कैसे हो गई?
उत्तर- एक वर्ष में कुलीन परिवार की दशा अच्छी हो गई क्योंकि अब चारों भाई काम करने लगे थे।
लिखित
Q1 कुलीन परिवार के सदस्यों द्वारा नौकरी न करने का क्या परिणाम हो रहा था?
उत्तर- कुलीन परिवार के सदस्यों द्वारा नौकरी न करने का परिणाम यह हो रहा था, कि आखिर वह स्थिति आ गई जब घर में कुछ भी न बचा और खाने-पीने के लाले पड़ने लगे|
Q2 रिश्तेदार के सामने भोजन के समय भाइयों ने परिवार की बुरी दशा छिपाने के लिए क्या किया?
उत्तर- रिश्तेदार के सामने भोजन के समय भाइयों ने परिवार की बुरी दशा छिपाने के लिए बहाना बनाया। बड़े भाई ने कहा मेरा सोमवार का व्रत है, दूसरे ने कहा मेरे पेट में दर्द है, तीसरे ने कहा मुझे दावत में जाना है। छोटा भाई मेहमान के साथ खाने बैठा, खाना परोसने से पहले ही हाथ हिलाकर कह देता, “मुझे नही चाहिए |”
Q3 मेहमान ने सहिजन के पेड़ को क्या सोचकर काटा?
उत्तर- जब मेहमान ने देखा इतना अच्छा और प्रतिष्ठित् खानदान केवल झूठी और बनावटी इज्जत के ख्याल से ये नौजवान लड़के जो पढ़े-लिखे और हुनरमंद है, खाने-पीने की तकलीफ़ बरदाश्त कर रहे हैं और इस मामूली सहिजन के पेड़ के भरोसे अपना गुजारा कर रहे हैं| मेहमान ने सोचा जब ये पेड़ ही नहीं रहेगा तो ये लड़के अपनी रोजी-रोटी के लिए नौकरी जरूर करेंगे| यह सोच उसने पेड़ काट दिया|
Q4 पेड़ को कटा देखकर चारों भाइयों की माँ पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर- पेड़ को कटा देखकर चारों भाइयों की माँ कहने लगी, “यह दुष्ट मेहमान कहाँ से आया था? यह दुष्ट मेहमान नहीं पिछले जन्म का हमारा दुश्मन था। अगर इसे हमारी हालत पर इतना ही तरस आ रहा था तो चुपचाप आठ — दस मन अनाज घर पर भेज देता। इसने तो हमारे परिवार का एकमात्र सहारा साहिजन के पेड़ को ही क्यों काट डाला?”
Q5 दूसरी दीवाली पर मेहमान को विदा करते समय भाइयों ने उससे क्या कहा?
उत्तर- दूसरी दीवाली पर मेहमान को विदा करते समय भाइयों ने उससे कहा, “उस दिन आपने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा, मानो हमारी सुस्ती ढिलाई और बुरा भाग्य को ही काटकर फेंक दिया था। अगर आप हमपर तरस खा कर पाँच-दस मन अनाज भेज देते तो हम और भी बुज़दिल और नीचे गिर जातें। आपने हमारे आँगन का पेड़ काटकर गिराकर हमारी गिरी हुई किस्मत को ही ऊँचा उठा दिया। दुनिया में भाई-बंधु हो तो ऐसे हों |”