मौखिक
(क) फूल को देखकर कवि को क्या अनुभव हुआ ?
उत्तर- रंग-बिरंगी खुश्बूदार फूलों को देख कर कवि का मन तृप्त हो गया|
(ख) कवि ने वसंत ऋतु को धन्य क्यों माना ?
उत्तर- वसंत ऋतु जब आता है वह अपने साथ रंग बिरंगी फूलों की सुंदरता और उसकी महक लेकर आता है। जिसे देख, कवि वसंत ऋतु को धन्य कहते हैं।
(ग) नन्हे फूल ने कवि से क्या कहा?
उत्तर- नन्हें फूल ने कवि, से कहा धन्य वसंत ऋतु तो ठीक है लेकिन इसकी धन्यता हमारी रची हुई है|
(ध) ‘लौ’ तथा ‘अँधेरा’ किसके प्रतीक हैं।
उत्तर- ‘लौं’ ‘तथा ‘अँधेरा’ कष्ट सहने का प्रतीक है|
लिखित
(क) ‘खिंच गई गंध की लकीर सी’ दुवारा कवि क्या कहना चाहते सुकीर हैं ?
उत्तर- इस पंक्ति दुवारा कवि कहना चाहते हैं वसंत ऋतु के आते ही क्यारियों में रंग- बिरंगे फूलों को देख मन तृप्त हो जाता है और उसकी सुगंध प्राणो में बस जाती है|
(ख) फूलों के रंगों से कवि को ‘रंगों की बरसात’ का अनुभव क्यों होने लगा ?
उत्तर — वसंत ऋतु में हर एक क्यारी रंग-बिरंगी फूलों से सजी रहती है। चारो तरफ सतरंगी फूलों को देख कर कवी को लगता है ‘रंगो की बरसात’ हुई है|
(ग) फूल ने अपनी किन-किन कठिनाइयों का वर्णन किया?
उत्तर — फूल ने कहा मेरे अनगिनत साथी जिन्होंने इस क्यारी में अपने ही स्थान पर पूरी आयु एक ही पाँव में खड़े रहकर सूरज की तपन को झेला है। जाड़ा, बरसात और पाला झेलते हुए अनेक कष्ट सहकर वसंत ऋतु को सुन्दर बनाया हैं।
(ध) ‘सूरज को तपा है पूरी आयु एक पाँव पर’ का भावाथ क्या है ?
उत्तर- इस पंक्ति का भावार्थ है कि हमने धूप बरसात जाड़ा, पाला झेला है। पूरी आयु एक पाँव में खड़े रहकर सूरज की तपने को साहा है। इतना कष्ट सहन करने के बाद ये सुन्दरता पाया है।
(ङ) ‘तुमसे भी रंग जाती एक ऋतु’ — फूल ने कवि से ऐसा क्यों कहा?
उत्तर- फूल ने कवि से ऐसा कहा क्योंकि उसने केवल वसंत की सुन्दरता को देखा। उस सुन्दरता को लाने में हमने जो कष्ट सहे है यदि तुम भी कष्ट को सहते तो आज तुमसे भी रंग जाती एक ऋतु ।
(च) इस कविता द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर- इस कविता द्वारा कवि हमें यह संदेश देना चाहते हैं कि परिश्रम और साधना का फल अवश्य मिलता है।