मौखिक
Q1 रानी कर्णावती को मदद की आवश्यकता क्यों पडी ?
उत्तर- रानी कर्णावती को मदद की आवश्यकता पड़ी क्योंकि राजपूत वीरता से लड़ते हुए मेवाड़ की ओर बढ़ रहे थे |
Q2 रानी कर्णावती को युद्ध में विजय पाने का क्या उपाय सुझा?
उत्तर- रानी कर्णावती को युद्ध में विजय पाने का एक उपाय सुझा उसने हुमायूँ को राखी भेज कर अपना भाई बनाया |
Q3 कर्णावती ने दूत के हाथ क्या भेजा?
उत्तर- कर्णावती ने दूत के हाथों राखी और पत्र भेजा |
Q4 कर्णावती द्वारा भेजी राखी पाकर हुमायूँ को कैसा लगा?
उत्तर- कर्णावती द्वारा भेजी राखी पाकर हुमायूँ बहुत खुश हुआ और उसकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए उसकी मदद के लिए निकल पड़ा।
Q5 “मैं इस रिश्ते की इज्जत रखूँगा ।” इस कथन का क्या अभिप्राय हू?
उत्तर- इस कथन का अभिप्राय यह है कि हुमायूँ कर्णावती को बहन के समान मानेंगा और मेवाड़ की रक्षा करेगा |
लिखित
Q1 बाघ सिंह अपने किस दुख का वर्णन रानी कर्णावती से कर रहे थे
उत्तर- बाघ सिंह को मेवाड़ की हार स्पष्ट दिखाई दे रही थी। उन्हें इस बात का दुख था कि मरकर भी वे मेवाड़ की रक्षा नहीं कर पाएँगे |
Q2 राखी भेजने के पक्ष में रानी ने क्या तर्क दिया ?
उत्तर- राखी भेजने के पक्ष में रानी ने यह तर्क दिया कि यह वह शीतल दवा है जो सारे धाव भर देगी। यह वह वरदान है, जिसे पाकर कोई वैर विरोध याद नहीं रख सकता |
Q3 तातार खाँ और हिंदू बेग हुमायूँ की बात का विरोध क्यों कर रहे थे?
उत्तर- महारानी कर्णावती के पति महाराणा, संग्राम सिंह ने यह कसम खाई थी कि मुगलों को हिंदुस्तान से बाहर खदेड़े बगैर चित्तौड़ में, कदम नहीं रखूँगा। यह बात तावार खाँ और हिन्दूबेग नहीं भूले थे इसलिए हुमायूँ की बात का विरोध कर रहे थे |
Q4 इस एकांकी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर- इस एकांकी से हमें यह प्रेरणा मिलती हैं कि मानव-धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है यदि कोई पुराना बैर भूलाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाए तो हमें उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
Q5 एकांकी के आधार पर कर्णावती और हुमायूँ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर- कर्णावती स्वर्गीय महाराणा संग्राम सिंह की पत्नी महारानी कर्णावती एक कुशल शासक, बहादुर, चतुर और देशभक्त महारानी थी। उसके लिए मानव-धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है।
हुमायूँ — मुगल बादशाह हुमायूँ एक वीर ‘और कुशल शासक होने के साथ-साथ बहादुर, हर एक के प्रति प्रेमभावना रखने वाले, नारी का सम्मान करने वाले, सभी धर्म का आदर करने वाले, रिश्तों का सम्मान करने वाले शासक थे। जिन्होंने महारानी कर्णावती के द्वारा भेजे गए राखी को स्वीकार किया और उसकी मदद के लिए निकल पड़े।