मौखिक
Q1 नदी हंस-हंसकर क्या बतलाती है?
नदी हंस-हंसकर हमें बतलाती है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें जीवन में संघर्ष करते रहना चाहिए| तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे|
Q2 कवि नदी को विश्राम करने के लिए क्यों कह रहा है?
कवि नदी को विश्राम करने के लिए कह रहा है क्योंकि नदी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इतनी उतावली है कि वह एक पल भी व्यर्थ नहीं करना चाहती और इसी चाहत में वह निरंतर बहती जाती है|
Q3 नदी गांव और शहर दोनों को प्यारी क्यों है?
नदी गांव और शहर दोनों को प्यारी है क्योंकि नदी से ही गांव-शहर में सुख, शांति, सम्पन्नता, हरियाली, उन्नति और जीवन है|
Q4 नदी के छौने किन्हें कहा गया है?
नंगल-भाखड़ा-रिहंत आदि को नदी के छौने कहा गया है|
लिखित
Q1 नदी में उठती लहरें किसका प्रतीक है?
नदी में उठती लहरें संघर्षमय जीवन का प्रतीक है| जिस प्रकार नदी अनेक कष्टों को चीरती हुई अपने लक्ष्य को प्राप्त करती है ठीक उसी प्रकार हमें भी जीवन में कठिनाइयों को चीरते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है|
Q2 नदी को पर्वत से भी महान क्यों कहा गया है?
नदी को पर्वत से भी महान कहा गया है क्योंकि नदी निरंतर बहती रहती है और यह पूरी धरती को जीवन देती है हरियाली, उन्नति, सुख, शांति इसी से है| घर-घर में रोशनी और कल-कारखानों की यह धड़कन है|
Q3 नदी बिजली बनकर रोशनी कैसे बढ़ती है?
नदी बिजली बनकर गांव और शहरों में घर-घर रोशनी फैलाती है| बिजली के द्वारा ही कारखानों में मशीनें चलती है| यह हमें सुख-शांति तो देती है| यह हमारी उन्नति का प्रतीक है|
Q4 देशों की उन्नति और अवनति नदियों पर कैसे निर्भर है?
देशों की उन्नति और अवनति नदियों पर ही निर्भर है क्योंकि नदियों से ही बिजली का उत्पादन होता है| कारखानों में मशीनें चलती है| हर क्षेत्र में बिजली उन्नति का स्रोत है| कार्यालय हो या घर आज सभी काम कंप्यूटर में होता है जो बिजली से चलता है यदि बिजली ही नहीं होगी तो काम रुक जाएगा उन्नति रुक जाएगी|
आशय स्पष्ट कीजिए —
Q1 तेरी लहरों में अंकित है
संस्कृतियों का उत्थान पतन
इस पंक्ति का आशय है- नदी तेरी लहरों में ही देश की संस्कृतियों का उत्थान पतन अंकित है अर्थात पूरा इतिहास तुम में ही छुपा हुआ है| तुमसे ही पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य को जीवन मिलता है| तुम हो तो सब कुछ है, तुम नहीं तो कुछ भी नहीं|
Q2 जो लक्ष्य खोजने निकली थी
वह लक्ष्य स्वयं हो जाती हो
इस पंक्ति का आशय है- नदी सागर से मिलने का लक्ष्य लेकर निकलती है| वह रास्ते में आए हर मुसीबतों का सामना करती हुई पर्वतों को काटती हुई गांव-शहरों को खुशियां देती हुई अपने लक्ष्य को प्राप्त करती है सागर से मिल जाती है और स्वयं एक लक्ष्य बन जाती है|
पठित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
सैलाब रूप धारण कर तुम | फिर सागर की व्यापकता में
उफनाती हो जब लहर-लहर | मिल जाती हो, खो जाती हो|
पुल, सड़क, रेल बह जाते हैं | जो लक्ष्य खोजने निकली थी
थर-थर करते हैं गांव-शहर| | वह लक्ष्य स्वयं हो जाती हो|
Q1 नदी के सैलाब रूप धारण करने का क्या परिणाम होता है
नदी जब सैलाब रूप धारण करती है तो वह गांव-गांव, शहर-शहर अपना क्रोध दिखाती है| पुल, सड़क, रेल सबको अपनी लहरों में समेटती हुई नष्ट कर देती है|
Q2 अंत में नदी किस में मिल जाती है?
अंत में नदी सागर में मिल जाती है|
Q3 नदी स्वयं लक्ष्य कैसे हो जाती है?
नदी जब सागर में मिल जाती है उसका संघर्ष समाप्त हो जाता है सागर में उसका फैलाव हो जाता है| वह चारों तरफ फैल कर शांत हो जाती है, ठहर जाती है और स्वयं एक लक्ष्य बन जाती है|