निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(I) वहीं उसकी मिसरानी ने मुझे बताया । कहने
लगी - " तुम्हारा बेटा तो बहुत बीमार रहा, मरकर बचा। सुनकर मैं शर्म से गड़ गई।
मेरा बेटा बीमार रहे और मुझे पता भी न लगे ।"
(क) कौन किसके घर गई थी और क्यों?
उत्तर - अविनाश की माँ कुमार के घर गई थी क्योंकि
वह उसका पड़ोसी था, उस नाते उससे मिलने और हाल-चाल पूछने गई थी।
(ख) वहाँ उसे किसने क्या बताया?
उत्तर - वहाँ उसे मिसरानी ने, जो वहाँ काम
करती थी अविनाश के बीमारी के बारे बताया, जो मरकर बचा था।
(ग) उसका बेटा उससे अलग क्यों
रहता है? वक्ता उससे क्यों नहीं मिलने जाता?
उत्तर - उसका बेटा उससे अलग रहता था क्योंकि
अविनाश ने एक बंगाली विजातीय स्त्री से विवाह किया था, जो उसकी माँ को पसंद नहीं थी।
माँ अविनाश से मिलने नहीं जाती थी क्योंकि वह प्राचीन रीति-रिवाज़ों और संस्कारों से
बंधी नारी थी।
(घ) ‘वे बहुत समझाते थे, नाराज
भी हो जाते थे' पंक्ति में 'वे' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया हैं? उनके चरित्र
की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर - वे शब्द का प्रयोग माँ ने अविनाश केपिता
के लिए किया है। अविनाश के पिता एक निर्मम इंसान थे, जिन्हें माया-ममता ने कभी छुआ तक
नहीं था, हमेशा देश धर्म और कर्तव्य की दुहाई देते रहते थे।
(II) अपराध और किसका है। सब मुझी को दोष
देते हैं।'शकी
(क) वक्ता और श्रोता कौन - कौन
हैं? परिचय दीजिए।
उत्तर - वक्ता माँ है और श्रोता उमा है। वक्ता
इस एकांकी की प्रमुख पात्र और अविनाश - अतुल की माँ है। वह संक्रांति काल की नारी है तथा संस्कारों से बंधी हुई है। पति से मदभेद
होते हुए भी वह उसका मान रखती है। वह अत्यंत भावुक हैं, उसके मन में स्नेह और ममता
भरा हुआ है। उमा जो अतुल की पत्नी है और घर की छोटी बहू है। वह अपने परिवार से बेहद
प्यार करती है। वह धार्मिक रीति-रिवाजों को मानती है तथा आदर्शवादी महिला है।
(ख) वक्ता अपने किस अपराध की
ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर - वक्ता अविनाश की माँ है। उसने एक बंगाली
विजातीय स्त्री से विवाह किया था और अपने परिवार से अलग रहता था। माँ संस्कारों में
बंधी होने के कारण उसके पास जा नहीं पाती थी। जब उसे पता चलता है, अविनाश बहुत बीमार
था मरकर बचा है। बहू अकेली ही सब कुछ चुपचाप रती रही, यह सब जान माँ अपने को अपराधी
मान रही थी।
(ग) सब वक्ता को किस बात के
लिए दोष देते थे?
उत्तर - सब माँ को दोष देते थे क्योंकि माँ
पुराने संस्कारों और रीति-रिवाजों को मानने वाली महिला थी और उन्होंने अविनाश और उसकी
पत्नी को स्वीकार नहीं किया था। अविनाश जब बहुत बीमार था तब भी उसके पास उसकी पत्नी
के अलावा कोई मदद करने वाला नहीं था। पत्नी उसकी सेवा कर उसे ठीक तो कर देती है लेकिन
खुद मरणासन्न में आ जाती है।
(घ) मिसरानी ने वक्ता को किसके
बारें में क्या बताया ?
उत्तर - मिसरानी ने माँ को अविनाश और उसकी
पत्नी के बारे में बताते हुए कहा अब अविनाश तो अच्छा हो गया, लेकिन उसकी बहू बीमार
पड़ गई। उसके बचने की कोई आशा नहीं है।
(iii) ‘माया ममता किसी को भी नहीं छू गई है।
हर बात में देश, धर्म और कर्तव्य की दुहाई देना उन्होंने सीखा है। आखिर इनका बाप भी
तो ऐसा ही निर्मम था।'
(क) वक्ता कौन है? उन्होंने
शब्द का प्रयोग किनके लिए किया गया है?
उत्तर - यहाँ वकता माँ है। ‘उन्होंने' शब्द
का प्रयोग माँ ने अपने पति के लिए किया है।
(ख) ‘इनका बाप भी तो ऐसा ही
निर्मम था।’ वक्ता को उसके निर्ममता के संबंध में कौन-सी घटना याद आ गई ?
उत्तर - आखिर इसका बाप भी ऐसा ही निर्मम था।
मुझे याद है जिस समय अतुल छोटा सा लड़का था। बचने की कोई आशा न थी, उस समय वे शांत
मन उसको धरती पर लिटाने के लिए सामान हटा रहे थे। दुनिया ने दाँतों तले उंगली दबाकर
कहा था - “ऐसा भी क्या बाप जो अपने बेटे के लिए भी नहीं रोता ।”
(ग) वक्ता के बेटों ने उसे किस बात के लिए कोसा है और क्यों ?
उत्तर - माँ के बेटों ने उसे संस्कारों की दासता में बंधी हुई बताया।
जिस संस्कारों में माँ पली थी, उन्हें तोड़ने की शक्ति उनमें नहीं थी। जब अविनाश एक
बंगाली स्त्री से विवाह कर लेता है तो माँ उसे स्वीकार नहीं करती क्योंकि वह संस्कारों
से बंधी थी। बेटों के प्रति ममता और प्रेम हैं किंतु संस्कारों में बंधी होने के कारण
वह प्रकट नहीं करती। परिणाम अविनाश और उसकी पत्नी को परिवार से अलग रहना पड़ता है।
जो परिवार के लिए अच्छा न था।
(घ) माँ का हृदय परिवर्तन कब
हुआ और कैसे ?
उत्तर - माँ का हृदय परिवर्तन तब हुआ जब मिसरानी
ने उसे बताया की अविनाश तो ठीक हो गया लेकिन उसकी पत्नी बीमार है बचने की आशा नहीं
है। यह सुन माँ सोचती है, जिस स्त्री के लिए अविनाश ने घर और परिवार को त्याग दिया,
जिसे वह इतना प्रेम करता है। यदि वहीं नहीं रहेगी तो अविनाश भी बचेगा नहीं। यह सोच
माँ का ममता और प्रेम जाग उठता है और वह दोनों को लेने चल देती है।
(iv) ‘दुनिया ने दाँतों तले उंगली दबाकर कहा
था- 'ऐसा भी क्या जो अपने बेटे के लिए भी नहीं रोता। उसी बाप के ये बेटे हैं। मुझे
सदा इन्होंने माया ममता में फंसी हुई कहकर कोसा है। सदा मेरी निन्दा की है।'
(क) उपर्युक्त अवतरण का संदर्भ
लिखिए ।
उत्तर - उपर्युक्त कथन अविनाश के पिता के संदर्भ
में कही गई है, वे एक कठोर और निर्मम इंसान थे। एक बार जब अतुल छोटा था, बीमार था बचने
की कोई आशा न थी तब ये उसकी अंतिम संस्कार करने की तैयारी करने लगे थे। सभी देखकर हैरान
रह गए थे। उनके हृदय में ममता-माया नाम की चीज न थी। ऐसे बाप के ये बेटे हैं।
(ख) दुनिया ने किसके संबंध में
दाँतो तले उंगली दबाकर क्या कहा था और क्यों ?
उत्तर - दुनिया ने अविनाश के पिता के संबंध
में दाँतो तले उंगली दबाकर कहा था कि “ऐसा भी क्या बाप जो अपने बेटे के लिए भी नहीं
रोता।" उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अतूल छोटा में बीमार था बचने की कोई आशा
न थी तब भी रोया नहीं शांत रहकर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगा था।
(ग) बाप बेटों की किस समानता
का उल्लेख किया गया है?
उत्तर - बाप बेटों की यह समानता बताई गई है
कि वे सभी निर्मम है। माया- ममता नाम की कोई चीज उनके हृदय में नहीं हैं। वे केवल नैतिक
कर्तव्य की बात करते हैं।
(घ) माँ के चरित्र की प्रमुख
विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - माँ के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ
हैं - वह ममतामयी है, संस्कारी है और अपने कुल, धर्म, जाति के संस्कारों से बंधी हुई
हैं। वह संवेदनशील और भावुक है इसलिए वह अपने संस्कारों की दासता से मुक्त हो जाती
है।
(V) हाँ, बहुत भोली माता जी!
बहुत प्यारी। जो एक बार देख लेता है, वह फिर उसी रूप को नहीं भुला सकता। बार-बार देखने
को मन करता है।"
(क) उपर्युक्त पंक्तियों में
किसके बारे में बात की जा रही है? उसके व्यक्तित्व एवं चरित्र की विशेषताओं का वर्णन
कीजिए।
उत्तर - उपर्युक्त पंक्तियों में अविनाश की
पत्नी के बारे में बात की जा रही है। वह अत्यंत भोली-भाली, प्यारी, सुंदर है जो उसे
एक बार देख लेता है भूल. नहीं पता। वह कर्तव्यनिष्ठ और साहसी भी है, जिसने अकेले ही
अपने बीमार पति की सेवा करके उसे बचाया।
(ख) उमा अविनाश की बहू के घर
क्यों और कब गई थी?
उत्तर - उमा अविनाश की बहू के घर तब गई थी
जब माँ अविनाश से गुस्सा होकर बहुत दुखी हो रही थीं। वह उससे लड़ने गई थी क्योंकि वह
मानती थी कि माँ के दुख का कारण अविनाश की पत्नी है।
(ग) उमा की बात सुनकर माँ की
क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर - उमा की बात सुनकर माँ को पहले तो बहुत
अचरज हुआ कि उमा अविनाश की बहू को जानती है। है। वह चौंक जाती है और विश्वास नहीं कर
पाती कि उमा उससे लड़ने गई थी।
घ) उमा ने अविनाश की बहू को
क्या सुझाव दिया था ?
उत्तर - उमा ने अविनाश की बहू को सुझाव देते
हुए कहा था तुम अब भी चाहो, तो सब कुछ ठीक हो सकता है। तुम भईया को छोड़ सकती हो।
(VI) सोचो तुम स्वयं पत्नी हो। यद्यपि तुमने
मेरी तरह पति का वरण नहीं किया है, फिर भी तुम उन्हें प्यार करती हो। मुझे यह बात बुरी
लगी, मैंने कहा, “सब पत्नियाँ अपने पतियों को प्यार करती हैं, जो भी करती हूँ, प्राणों
से अधिक प्यार करती हूँ।"
(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन
हैं? किसे, किसकी कौन-सी बात बुरी लगी और क्यों ?
उत्तर - वकता अविनाश की पत्नी और घर की बड़ी
बहू हैं। श्रोता उमा है जो घर की छोटी बहू है। उमा को अविनाश की पत्नी की
यह बात बुरी लगी कि सभी पत्नियाँ अपने पतियों को प्यार करती हैं, क्योंकि अविनाश की
पत्नी यह जानना चाहती थी कि क्या उमा भी अतुल को छोड़ सकती है।
(ख) श्रोता ने वकता की बात सुनकर
क्या उत्तर दिया?
उत्तर - श्रोता उमा ने अविनाश की बहू की बात
सुनकर उत्तर दिया, "सब पत्नियाँ अपने पतियों को प्यार करती हैं, मैं भी करती हूँ,
प्राणों से अधिक प्यार करती हूँ।
(ग) वक्ता के चरित्र की विशेषताओं
का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - वकता अविनाश की पत्नी है। वह अविनाश
से असीम प्यार करती है और उसके लिए अपने प्राण तक दे सकती है। वह अत्यंत स्पष्टवादी,
दृढ़ निश्चयी और स्वाभिमानी है, अपने सिद्धांतो पर अडिग रहती है।
(घ) अविनाश क्यों अलग, रहने
लगा था? माँ अविनाश के घर क्यों नहीं जाती थी?
उत्तर - अविनाश अपने परिवार से अलग रहने लगा
था क्योंकि उसने एक बंगाली विजातीय स्त्री से प्रेम विवाह किया था, जिसे माँ ने स्वीकार
नहीं किया था | माँ अविनाश के घर नहीं जातीं थी क्योंकि उसने अविनाश की बहू को स्वीकार
नहीं किया था और अपने कुल, धर्म और जाति के संस्कारों की दासता से मुक्त नहीं हो पाई
थी।
(VII) “नहीं भाभी! मैं नहीं छोड़ सकूँगी | चाहूँ
तब भी नहीं।" सुनकर वे मुसकराई, कहने लगी “अच्छा! अब छोड़ो इन बातों को। अभी तो
आई हो और अभी ले बैठी ये पचड़े। आओ अंदर चले।"
(क) वकता और श्रोतां कौन-कौन
हैं? वक्ता ने श्रोता की किस बात को सुनकर उपर्युक्त कथन कहा?
उत्तर - वक्ता उमा है और श्रोता अविनाश की
पत्नी है। अविनाश की पत्नी ने जब उमा से कहा कि क्या तुम अतुल को छोड़ सकती हो, उसकी
बात
सुनकर उमा ने कहा, “नहीं भाभी। मैं नहीं छोड़ सकूँगी। चाहूँ तब भी नहीं।"
(ख) भाभी कौन है? उनका संक्षिप्त
परिचय दीजिए।
उत्तर - भाभी अविनाश की पत्नी है। वह भोली,
प्यारी, सुंदर, कर्तव्यनिष्ठ और साहसी है। वह अविनाश से बहुत प्यार करती हैं और जब
अविनाश बीमार था, अपनी जान जोखिम में डालकर उसकी सेवा करती है।
(ग) अविनाश की पत्नी का उमा
पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर - अविनाश की पत्नी का उंमा पर बहुत गहरा
प्रभाव पड़ा। उमा उसके रूप और व्यक्तित्व से इतनी मोहित हो गई कि उसे लगा जैसे उस पर
मोहिनी सी छा गई हो।
(घ) उमा के चरित्र की प्रमुख
विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - उमा युवती, रूपवती और संवेदनशील है।
वह न्यायप्रिय और अपने परिवार के प्रति समर्पित है। वह बात को समझने और स्वीकार करने
वाली है।
(VIII) ‘कहते हैं चेतन से अचेतन अधिक शक्तिशाली
है। उसमें अधिक आकर्षण है, इसलिए तुम एक दूसरे के प्रति खिंचे | चाहे वह प्रेम था, चाहे घृणा
थी, पर असल बात रक्त के खिंचाव की थी, वह होकर रही। काश कि... (स्वर डूबता है) काश
कि मैं निर्मम हो सकती, काश की मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो सकती।'
(क) चेतन से अचेतन अधिक शक्तिशाली
है। कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - चेतन से अचेतन अधिक शक्तिशाली है।
अचेतन में आकर्षण अधिक होता हैं इसलिए तुम एक - दूसरे के प्रति खिंचे। चाहे वह प्रेम
था, चाहे घृणा थी, पर असल बात रक्त के खिंचाव की थी, वह होकर
रही । कभी-कभी तर्क से परे होकर लोग एकदूसरे की ओर आकर्षित होते हैं।
(ख) तुम एक दूसरे के प्रति खिंचे'-
एक-दूसरे शब्द का प्रयोग किस-किस के लिए किया गया है ?
उत्तर – ‘तुम एक दूसरे के प्रति खिंचे' में
एक-दूसरे शब्दों का प्रयोग उमा और अविनाश की पत्नी के लिए किया गया है।
(ग) ‘रक्त के खिंचाव' से क्या
अभिप्राय है? 'वह होकर रही'-क्यों कहा है? वक्ता ने ऐसा
उत्तर - रक्त के खिंचाव' से अभिप्राय पारिवारिक,
खून के रिश्ते के स्वाभाविक और भावनात्मक बंधन से है। माँ ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि
चाहे अविनाश और माँ एक-दूसरे से दूर रहे हों, लेकिन माँ को बेटे की चिंता है, वह उससे
जुड़ना चाहती है, खून का बंधन अपना प्रभाव दिखाता ही है।
(घ) वक्ता किन संस्कारों की
दासता से मुक्त नहीं हो पाती ? - स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - माँ कुल, धर्म और जाति के संस्कारों
की दासता से मुक्त नहीं हो पाती। इन्हीं संस्कारों के कारण वह अपने बेटे अविनाश और
उसकी विजातीय पत्नी को स्वीकार नहीं कर पा रही थी।
(IX) “हाँ, उसी ने कहा था। मैंने उसे बहुत
समझाया, अपने प्रेम की दुहाई दी, पर वह सदा यही कहता रहा, "माँ संतान का पालन
माँ बाप का नैतिक कर्तव्य है। वे किसी पर एहसान नहीं करते, केवल राष्ट्र का ऋण चुकाते
हैं। वे ऋण मुक्त हो, यही उनका परितोष है। इससे अधिक मोह है इसलिए पाप है।"
(क) उपर्युक्त कथन का संदर्भ
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - माँ जब उमा को बताती है कि जब उसने
अविनाश को रोकने की कोशिश की थी, तब अविनाश ने उनसे यह कहा था । माँ अपने बेटे
से प्रेम करती थी। बेटे से बिछुड़ने के दर्द को व्यक्त करती हुई यह संदर्भ देती है।
(ख) वक्ता ने किसे क्या समझाया था?
उत्तर - माँ ने अविनाश को बहुत समझाया था और
अपने प्रेम की दुहाई भी दी थी, ताकि वह वापस आ जाए या उनसे अपना रिश्ता बनाकर रखे।
(ग) संतान का पालन माँ-बाप का
नैतिक कर्तव्य है कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर – संतान का पालन माँ-बाप का नैतिक कर्तव्य
है क्योंकि संतान का पालन-पोषण करना माता-पिता का नैतिक दायित्व है। वे अपनी संतान
पर एहसान नहीं करते। वे ऐसा करके राष्ट्र का ऋण चुकाते हैं और ऋण मुक्त होना ही उनका
संतोष है।
(घ) वक्ता के कथन – ‘इससे अधिक
मोह है इसलिए पाप है' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर - इस कथन के अनुसार संतान का पालन-पोषण,
करना माता-पिता का नैतिक कर्तव्य होता है। यदि वह नैतिक कर्तव्य से बढ़कर संतान के
प्रति अत्यधिक मोह रखता हैं तो वह एक प्रकार का पाप है। यह विचार दर्शाता है कि अविनाश
भावनात्मक लगाव के बजाय कर्तव्य और सिद्धांतों को अधिक महत्व देता है।
(X) निर्मम ही नहीं कायर भी। जिन संस्कारों
में तुम पली हो, उन्हें तोड़ने की शक्ति तुम में नहीं है, माँ!'
(क) वक्ता और श्रोता कौन है?
वक्ता, ने श्रोता को निर्मम एवं कायर क्यों कहा ?
उत्तर - वक्ता अतुल है और श्रोता माँ है। अतुल
ने माँ को निर्मम इसलिए कहा क्योंकि वह अपने बड़े बेटे अविनाश की बीमारी के बारे में.
जानकर भी उससे मिलने नहीं गई। कायर इसलिए कहां क्योंकि माँ में उन संस्कारों को तोड़ने
की शक्ति नहीं थी जिनमें वह पली-बढ़ी थी।
(ख) एकांकी में विजातीय विवाह
की समस्या को किस प्रकार उठाया गया है? विजातीय विवाह पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर - एकांकी में विजातीय विवाह की समस्या
को अविनाश और उसकी पत्नी के माध्यम से उठाया गया है। अविनाश द्वारा विजातीय विवाह
करने के कारण
उसकी माँ और
परिवार ने उससे
स्वीकार नहीं किया, जिससे
परिवार में अलगाव
और संघर्ष की
स्थिति उत्पन हुई
|
(ग) माँ अविनाश के यहाँ जाने
को क्यों तैयार हो जाती है?
उत्तर - माँ अविनाश के यहाँ जाने को तैयार
हो जाती है, क्योंकि वह जानती थी कि अविनाश की पत्नी को कुछ हो गया तो वह भी नहीं बचेगा।
उसे बचाने की शक्ति केवल माँ में थी। माँ की ममता बेटे के लिए जाग जाती है। वह अतुल
की शर्त भी मान लेती है कि उसे नीच कुल की विजातीय भाभी को घर में लाना होगा।
(घ) संस्कार और भावना' कहानी
का संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - संस्कार और भावना' कहानी का संदेश
यह है कि संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है। यह दिखाता है कि मानवीय भावनाएँ
और प्रेम, कुल- धर्म -जाति के संकुचित विचारों और रूढ़िवादी संस्कारों से अधिक महत्वपूर्ण
है।
(XI) ‘जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने
को तैयार रहते हैं एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम उन्हीं बातों को
स्वीकार कर लेते हैं।'
(क) उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट
की।
उत्तर - उपर्युक्त कंथन का आशंय यह है कि व्यक्ति
जीवन में कभी-कभी जिन विचारों या परिस्थितियों का घोर विरोध करता है, उन्हीं को भविष्य
में किसी विवश्ता या अनुभव के कारण स्वीकार करने को बाध्य हो जाता है।
(ख) ‘संस्कार और भावना' शीर्षक
एकांकी में किस समस्या को उजागर किया गया है?
उत्तर - संस्कार और भावना' शीर्षक एकांकी में
विजातीय विवाह की समस्या और रूढ़िवादी संस्कारों तथा मानवीय भावनाओं के बीच के संघर्ष
को उजागर किया गया है।
(ग) माँ के व्यवहार में किस
प्रकार बदलाव आया ?
उत्तर - माँ के व्यवहार में बदलाव अविनाश की
पत्नी के मरणासन्न होने की खबर सुनने के बाद आया। पहले वह संस्कारों के कारण बहू को
स्वीकार नहीं करती थी, लेकिन जब बहू की जान को खतरा हुआ और उसे लगा बहु को कुछ हो जाने
से अविनाश भी जी नहीं पाएगा, तब उसे लगा कि उसे बचाने की शक्ति केवल उसी में है और
उसका इदय परिवर्तित हो गया।
(घ) एकांकी के शीर्षक की सार्थकता
पर विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर - एकांकी का शीर्षक: ‘संस्कार और भावना'
पूर्णत: सार्थक है। यह एकांकी मुख्य रूप से संस्कारों और मानवीय भावनाओं के दवंदव को
ही दर्शाता है। माँ अपने संस्कारों के कारण विजातीय विवाह को स्वीकार नहीं कर पाती,
लेकिन अंतत: उसकी ममता और भावनात्मक संवेदना उसे अपने संस्कारो की दासता तोड़कर मानवीय
भावनाओं को स्वीकार करने पर मजबूर करती है।
(XII) ‘इससे अधिक मोह है, इसलिए पाप है।
पर मैं क्या करूँ ! मैं जो इससे अधिक है, उसी को पाने को आतुर हूँ। मैं ही क्यों, सभी
माता-पिता यही चाहते हैं। तभी में समझती हूँ, उस डाकिन ने मेरे बेटे को मुझसे छीना
है। पर वास्तव में दोष उसका नहीं है।
(क) वक्ता कौन है? उसने उपर्युक्त
कथन किससे तथा किस संदर्भ में कहा है?
उत्तर - वक्ता माँ है। उसने उपर्युक्त कथन
उमा से तब कहा जब वह अविनाश के इस विचार पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही थी कि संतान का
पालन-पोषण केवल कर्तव्य है उससे अधिक मोह पाप है।
(ख) ‘इससे अधिक मोह है, इसलिए
पाप है।’- वक्ता ने ऐसा किस संदर्भमें कहा है?
उत्तर – ‘इससे अधिक मोह है, इसलिए पाप है'
माँ ने यह बात अविनाश के कथन के संदर्भ में कही है। अविनाश का मानना था कि संतान का
पालन-पोषण केवल नैतिक कर्तव्य है, इससे अधिक मोह पाप है।
(ग) वक्ता के अनुसार उसकी तरह
सभी माता-पिता क्या चाहते हैं?
उत्तर - माँ के अनुसार उसकी तरह सभी माता-पिता
उस मोह को पाना चाहते हैं जो केवल कर्तव्य से अधिक होता है, यानी वे अपनी संतान के
प्रति गहरा लगाव और प्रेम चाहते हैं।
(घ) वक्ता ने ‘डाकिन' शब्द का
प्रयोग किसके लिए किया ? फिर उसने यह क्यों कहा कि वास्तव में दोष उसका नहीं है?
उत्तर - माँ ने 'डाकिन' शब्द का प्रयोग अविनाश
की पत्नी के लिए किया है। माँ को लगता है कि बहू ने ही उसके बेटे को उससे छीना है।
फिर उसने यह कहा कि वास्तव में दोष उसका नहीं है, क्योंकि वह यह स्वीकार कर लेती है
कि अविनाश अपनी पत्नी से प्रेम करता है और अत्यधिक मोह माँ की अपनी भावना है, जिसमें
बहू का कोई दोष नहीं |