(i) 'अगर तुम्हारी सामर्थ्य कम थी, तो अपनी बराबरी का घर देखते। झोंपड़ी में रहकर महल से नाता क्यों जोड़ा?'
- (क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे, कब तथा क्यों कहा है?
यह कथन जीवनलाल ने प्रमोद से तब कहा जब प्रमोद अपनी बहन कमला की विदा के लिए आया था और जीवनलाल ने दहेज
पूरा न मिलने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की| जीवनलाल ने यह
बात इसलिए कही क्योंकि उसे लगता था कि प्रमोद के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, और फिर भी उन्होंने 'महल'
(जीवनलाल के घर) से रिश्ता जोड़ा, जिससे उसे अपमान महसूस हुआ|
- (ख) श्रोता ने अपने 'सामर्थ्य' के संबंध
में क्या कहा?
श्रोता
(प्रमोद) ने अपनी सामर्थ्य के संबंध में कहा कि उन्होंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार जितना भी हो सका, उतना दहेज दे दिया है|
- (ग) 'झोंपड़ी' तथा 'महल' से वक्ता का संकेत किस-किस ओर है?
'झोंपड़ी' से वक्ता (जीवनलाल) का संकेत प्रमोद के कम सामर्थ्य
वाले, गरीब घर की ओर है, और 'महल'
से उसका संकेत अपने धनी और
प्रतिष्ठित घर की ओर है|
- (घ) वक्ता किस बात पर क्रोधित है तथा क्यों?
वक्ता
(जीवनलाल) इस बात पर क्रोधित है कि उसे जितना दहेज मिलना चाहिए था, वह पूरा नहीं मिला| इसके अलावा, बारात की खातिरदारी भी ठीक से नहीं की गई, जिससे उसके नाम पर धब्बा
लगा, उसकी शान को ठेस पहुँची, और भरी बिरादरी में उसकी
हँसी हुई| इस 'करारी चोट का घाव' आज भी हरा है|
(ii) 'मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी
में जो हँसी हुई, उस करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी को विदा कराना चाहती हैं तो पहले उस घाव के
लिए मरहम भेजें।'
- (क) वक्ता कौन है? उसके अनुसार उसकी शान को क्या ठेस पहुँची थी?
वक्ता जीवनलाल है| उसके अनुसार उसकी शान को
यह ठेस पहुँची थी कि दहेज पूरा नहीं दिया गया और बारात की खातिरदारी भी ठीक से
नहीं की गई, जिससे भरी बिरादरी में उसकी हँसी हुई और उसके नाम पर धब्बा
लगा|
- (ख) 'घाव' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया गया है?
'घाव' शब्द का प्रयोग मानसिक पीड़ा, अपमान और प्रतिष्ठा को लगी चोट के अर्थ में किया गया है, जो दहेज पूरा न मिलने और अपर्याप्त खातिरदारी के कारण जीवनलाल को महसूस हुआ|
- (ग) वक्ता ने 'घाव के लिए मरहम भेजने' की बात कहकर क्या संकेत किया?
वक्ता
(जीवनलाल) ने 'घाव के लिए मरहम भेजने' की बात कहकर यह संकेत किया
कि उसकी प्रतिष्ठा को जो चोट पहुँची है, उसे दूर करने के लिए उसे पाँच हज़ार रुपये नकद चाहिए, जिसे वह 'मरहम' कहता है|
- (घ) क्या वक्ता के उपर्युक्त कथन को आप सही मानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
नहीं, वक्ता (जीवनलाल) का यह कथन बिल्कुल भी उचित नहीं है| वह अपनी बेटी की ससुराल से दहेज पूरा न मिलने पर अपमानित महसूस कर रहा है, जबकि वह खुद अपनी बहू (कमला) की विदा केवल इसलिए नहीं कर रहा है क्योंकि उसे
अपनी मनचाही दहेज की रकम नहीं मिली| यह दहेज लोभ
की पराकाष्ठा है और मानवीय मूल्यों के विपरीत है|
(iii) 'ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। और तुम (उत्तेजित स्वर में) कल के छोकरे मुझे बेवकूफ़ बनाना चाहते हो?'
- (क) उपर्युक्त कथन में कौन, किससे किस संदर्भ में बात कर रहा है?
उपर्युक्त कथन में जीवनलाल प्रमोद से बात कर रहा है| प्रमोद कमला की विदा के लिए जीवनलाल से विनती कर रहा था और
उसने कहा था कि वे गौने में जीवनलाल की हर माँग पूरी करने की कोशिश करेंगे| जीवनलाल ने प्रमोद की बातों को टालने और उसे मूर्ख समझने
के संदर्भ में यह बात कही|
- (ख) 'बाल धूप
में सफेद नहीं हुए हैं' से उसका
क्या आशय है?
'बाल धूप में सफेद नहीं हुए
हैं' से वक्ता (जीवनलाल) का आशय यह है कि वह अनुभवी और समझदार है, उसने दुनिया देखी है| वह इतना भोला या मूर्ख नहीं है कि कोई उसे आसानी से धोखा दे सके|
- (ग) वक्ता ने उपर्युक्त कथन श्रोता के किस कथन के उत्तर में कहे हैं?
वक्ता ने यह
कथन श्रोता (प्रमोद) के उस कथन के उत्तर में कहे हैं जब प्रमोद ने विनती की थी कि
जीवनलाल इस समय कमला की विदा कर दे, और वे गौने (अगली विदा) में
उसकी हर माँग पूरी करने की चेष्टा करेंगे|
- (घ) वक्ता की क्या माँग थी? वक्ता के अनुसार उसके नाम पर क्या धब्बा लगा था?
वक्ता
(जीवनलाल) की माँग
पाँच हज़ार रुपये नकद थी| वक्ता के अनुसार उसके नाम पर यह धब्बा लगा था
कि प्रमोद के परिवार ने दहेज पूरा नहीं दिया और बारात की खातिरदारी भी ठीक से नहीं
की, जिससे उसकी शान को ठेस पहुँची और बिरादरी में उसकी हँसी हुई|
(iv) 'तो वह क्या कर लेता? मेरे सामने
मुँह खोलने की हिम्मत नहीं है उसमें।'
- (क) 'वह' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?
'वह' शब्द का प्रयोग रमेश, जो जीवनलाल का पुत्र है, के लिए किया गया है|
- (ख) वक्ता ने उपर्युक्त बात श्रोता के किस कथन के उत्तर में कही है?
वक्ता ने उपर्युक्त बात श्रोता (प्रमोद) के इस कथन के उत्तर में कही है कि अगर
रमेश बाबू यहाँ होते तो वह ऐसा नहीं होने देता या कमला की मदद करता| प्रमोद ने कहा था कि अगर रमेश बाबू यहाँ होते तो शायद कमला
की विदा हो जाती या वह अन्याय नहीं होने देता|
- (ग) वक्ता ने अपने बेटे की क्या विशेषताएँ बताईं?
वक्ता
(जीवनलाल) ने अपने बेटे रमेश की यह विशेषता बताई कि वह उसका बेटा है, और उसमें उसके सामने (पिता के सामने) मुँह खोलने की हिम्मत नहीं है| वह प्रमोद की तरह बड़ों के मुँह लगने वाला बदतमीज आवारा
लड़का नहीं है|
- (घ) वक्ता का बेटा कहाँ गया हुआ था और क्यों? क्या उसका जाना सफल रहा?
वक्ता
(जीवनलाल) का बेटा रमेश अपनी बहन गौरी को विदा
कराने के लिए उसकी ससुराल गया हुआ था| नहीं, उसका जाना सफल नहीं रहा| गौरी की ससुराल वालों ने
उसे विदा नहीं किया क्योंकि उनके अनुसार दहेज पूरा नहीं दिया गया था|
(v) 'तुम्हारी बहन के सपने कभी पूरे नहीं होंगे और उसके सपनों के
खून का दाग तुम्हारे हाथों और तुम्हारी माँ के आँचल पर होगा। समझे'
- (क) उपर्युक्त वाक्य किस एकांकी से लिया गया है? वाक्य किसने तथा किससे कहा है?
उपर्युक्त वाक्य 'बहू की विदा' एकांकी से लिया गया है| यह वाक्य जीवनलाल ने प्रमोद से कहा है|
- (ख) 'तुम्हारी
बहन के सपने कभी पूरे नहीं होंगे' आशय
स्पष्ट कीजिए।
'तुम्हारी बहन के सपने कभी
पूरे नहीं होंगे' का आशय यह है कि कमला (प्रमोद
की बहन) अपने पहले सावन पर अपने मायके जाकर सखी-सहेलियों के साथ हँसने-खेलने का जो
सपना देखती है, वह पूरा नहीं हो पाएगा| जीवनलाल दहेज की कमी के
कारण कमला की विदा नहीं कर रहा था, और इसी कारण उसके मायके
जाने का सपना टूट रहा था|
- (ग) वक्ता ने सपने पूरे न होने के लिए किस-किस को
जिम्मेदार बताया? क्या आप वक्ता के कथन
को उचित मानते हैं?
वक्ता
(जीवनलाल) ने कमला के सपने पूरे न होने के लिए प्रमोद (तुम्हारे हाथों) और उसकी माँ (तुम्हारी माँ के आँचल पर), यानी कमला के मायके वालों
को जिम्मेदार बताया| नहीं, वक्ता का यह कथन उचित नहीं
है| असल में, कमला के सपने जीवनलाल के
दहेज लोभ और हठधर्मिता के कारण पूरे नहीं हो रहे थे, फिर भी वह इसका
दोष प्रमोद और उसकी माँ पर डाल रहा था|
- (घ) वक्ता ने अपनी बेटी गौरी के विवाह के संबंध में
वक्ता से क्या कहा? इससे वक्ता के चरित्र
की किस विशेषता का पता चलता है?
वक्ता
(जीवनलाल) ने अपनी बेटी गौरी के विवाह के संबंध में प्रमोद से कहा कि उन्होंने
पिछले महीने ही गौरी की शादी की है और इतनी खातिरदारी की कि बारात वाले दंग रह गए
और इतना दहेज दिया कि देखने वालों ने दाँतों तले उँगली दबा ली| उसने यह भी बताया कि गौरी पहला सावन उसके (जीवनलाल के) घर
पर ही बिताएगी और रमेश उसे विदा कराने गया है| यह कथन वक्ता
के चरित्र की अहंकारी, घमंडी और दहेज-लोभी विशेषता को दर्शाता है,
जो अपने धन और दहेज देने की क्षमता पर इतराता है और दूसरों
को नीचा दिखाता है|
(vi) 'बेटी और बहू को एक तराजू में तौलना चाहते हो? बेटी-बेटी है,
बहू-बहू।'
- (क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे कहा
है तथा कब?
उपर्युक्त कथन जीवनलाल ने प्रमोद से तब कहा जब प्रमोद ने व्यंग्यपूर्वक पूछा कि जो उनकी (प्रमोद की) बहन है, क्या वह उनकी (जीवनलाल की) कोई नहीं है|
- (ख) 'बेटी' और 'बहू' से किस-किस की ओर संकेत है?
'बेटी' से संकेत गौरी (जीवनलाल की बेटी) की ओर है, और 'बहू'
से संकेत कमला (जीवनलाल की बहू और प्रमोद की बहन) की ओर है|
- (ग) बेटी वाला होकर भी वक्ता को किस बात पर अहंकार था?
बेटी वाला होकर
भी वक्ता (जीवनलाल) को इस बात पर अहंकार था कि उसने अपनी बेटी गौरी की शादी में
बहुत खातिरदारी की और भारी दहेज दिया, जिससे उसकी प्रतिष्ठा
(नाक/मूँछ) ऊँची रही| वह खुद को प्रमोद के
परिवार से अधिक प्रतिष्ठित और धनी मानता था|
- (घ) 'बेटी-बेटी
है, बहू-बहू' इस कथन से
वक्ता की किस मानसिकता पर प्रकाश पड़ता है? इस संबंध में अपने विचार भी प्रकट कीजिए।
'बेटी-बेटी है, बहू-बहू' इस कथन से वक्ता (जीवनलाल) की दोहरी मानसिकता, पक्षपातपूर्ण और दहेज-प्रेमी सोच पर प्रकाश पड़ता है| वह अपनी बेटी
के लिए दूसरों से अच्छे व्यवहार और दहेज की अपेक्षा करता है, लेकिन अपनी बहू के प्रति क्रूर और असंवेदनशील है, उसे केवल दहेज की वस्तु मानता है| अपने विचार: यह मानसिकता अत्यंत अनुचित और सामाजिक बुराई को बढ़ावा देने वाली है| समाज में बेटी और बहू के बीच ऐसा भेदभाव दहेज प्रथा को
बढ़ावा देता है और कई परिवारों में कलह और दुख का कारण बनता है| हर बेटी को सम्मान और प्रेम मिलना चाहिए, चाहे वह बेटी हो या बहू|
(vii) 'जरूर। और हाँ, उसे यह भी
बताते जाना कि अगली बार मेरे लिए 'मरहम' लेकर विदा कराने कब आओगे?'
- (क) 'जरूर' शब्द का प्रयोग वक्ता ने किस प्रश्न के उत्तर में किया
है और क्यों?
'ज़रूर' शब्द का प्रयोग वक्ता (जीवनलाल) ने प्रमोद के इस प्रश्न के उत्तर में किया है:
"क्या जाने से पहले एक बार बहन से मिल सकता हूँ?"| जीवनलाल ने यह बात इसलिए कही क्योंकि उसे लगा कि प्रमोद के बहन से मिलने के
बाद वह शायद अगली बार दहेज की रकम का इंतजाम करके ही आएगा|
- (ख) जीवनलाल के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख
कीजिए।
जीवनलाल के
चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- वह दहेज-लोभी व्यक्ति है, जो अपनी बहू की विदा
को दहेज की रकम से जोड़ता है|
- वह अहंकारी और घमंडी है, अपनी संपत्ति और
सामाजिक प्रतिष्ठा पर गर्व करता है, और दूसरों को कमतर आंकता है|
- उसका स्वभाव जिद्दी है; वह अपनी बात पर अड़ा
रहता है और किसी की नहीं सुनता|
- उसकी दोहरी मानसिकता है, वह बेटी और बहू के
बीच भेदभाव करता है|
- वह संवेदनशील नहीं है, प्रमोद और कमला की
पीड़ा को नहीं समझता|
- हालांकि, अंत में, अपनी बेटी गौरी की
विदा न होने पर उसे अपनी गलती का एहसास होता है, जिससे उसके चरित्र
में हृदय परिवर्तन होता है|
- (ग) 'मरहम' शब्द का आशय स्पष्ट कीजिए। वक्ता किस प्रकार के 'मरहम' की बात कर
रहा है और क्यों?
'मरहम' शब्द का शाब्दिक अर्थ घाव पर लगाने वाली दवा है, लेकिन यहाँ इसका प्रयोग प्रतीकात्मक रूप से किया गया है| वक्ता
(जीवनलाल) यहाँ पाँच हज़ार रुपये नकद को 'मरहम' कह रहा है| वह इस प्रकार के 'मरहम' की बात कर रहा है क्योंकि उसके अनुसार प्रमोद के परिवार द्वारा दहेज पूरा न
दिए जाने के कारण उसकी शान को जो ठेस पहुँची है और उसे जो 'घाव' मिला है, वह इन रुपयों से ही भर
पाएगा|
- (घ) दहेज प्रथा पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
दहेज प्रथा एक
गंभीर सामाजिक बुराई है जो भारतीय समाज में गहराई
तक समाई हुई है| यह न केवल महिलाओं का उत्पीड़न करती है और
उन्हें एक वस्तु के रूप में देखती है, बल्कि कई परिवारों के लिए
आर्थिक संकट और सामाजिक प्रतिष्ठा के नुकसान का कारण भी बनती है| यह प्रथा मानवीय संबंधों को दूषित करती है और लालच को
बढ़ावा देती है, जैसा कि एकांकी में जीवनलाल के व्यवहार से स्पष्ट होता है| इसे समाप्त करने के लिए सख्त कानूनों के साथ-साथ सामाजिक
जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है, ताकि लोग अपनी बेटियों और
बहुओं को समान सम्मान और अधिकार दे सकें|
(viii) 'मैं कहता है रोओ मत। इन मोतियों का मूल्य समझने वाला यहाँ
कोई नहीं है। पानी में पत्थर नहीं पिघल सकता।'
- (क) कौन, किससे किस
संदर्भ में बात कर रहा है?
उपयुक्त कथन
में प्रमोद अपनी बहन कमला से बात कर रहा है| कमला अपनी विदा न होने के
कारण रो रही थी, और प्रमोद उसे सांत्वना देते हुए यह बात कह रहा था|
- (ख) रोने वाला कौन है? उसके रोने का क्या कारण है?
कमला रो रही है| उसके रोने का कारण यह है कि जीवनलाल ने दहेज
पूरा न मिलने के कारण उसकी विदा करने से मना कर दिया था| हर लड़की की तरह वह भी अपने पहले सावन पर अपने मायके जाकर
सखी-सहेलियों के साथ हँसने-खेलने का सपना देखती थी, जो अब अधूरा रह
गया था|
- (ग) वक्ता ने 'मोतियों' का प्रयोग
किस अर्थ में किया है?
वक्ता (प्रमोद)
ने 'मोतियों' का प्रयोग कमला के आँसुओं के अर्थ में किया है| वह कहना चाहता है कि कमला के आँसू अनमोल हैं, लेकिन यहाँ (जीवनलाल के घर में) कोई भी उनकी पीड़ा और भावनाओं को समझने वाला
नहीं है|
- (घ) 'पानी में
पत्थर नहीं पिघलता' वाक्य का व्यंग्य
स्पष्ट कीजिए।
'पानी में पत्थर नहीं पिघलता' वाक्य का व्यंग्य जीवनलाल की हृदयहीनता, हठधर्मिता और असंवेदनशीलता पर है| इसका अर्थ है कि कमला के आँसुओं (पानी) और उसकी मार्मिक
दशा का भी जीवनलाल (पत्थर) जैसे कठोर हृदय वाले व्यक्ति पर कोई असर नहीं होगा| वह अपनी दहेज की जिद पर अड़ा हुआ है|
(ix) 'किस लड़की की यह कामना नहीं होगी, भैया? लेकिन उस कामना की पूर्ति के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाना
कहाँ तक ठीक है?'
- (क) हर लड़की की कामना क्या होती है? एकांकी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
एकांकी के आधार
पर, हर लड़की की कामना होती है कि वह अपना पहला सावन अपने मायके में, अपनी सखी-सहेलियों के साथ
हँस-खेलकर बिताए|
- (ख) उस कामना की पूर्ति में बाधा क्यों आ रही है?
उस कामना की
पूर्ति में बाधा इसलिए आ रही है क्योंकि जीवनलाल (कमला के ससुर) दहेज में पाँच हज़ार रुपये नकद की माँग कर रहे हैं, और जब तक यह राशि नहीं दी जाती, वे कमला की विदा करने को
तैयार नहीं हैं|
- (ग) श्रोता उस कामना की पूर्ति के लिए क्या कीमत चुकाने
को तैयार है?
श्रोता
(प्रमोद) उस कामना की पूर्ति के लिए अपना मकान बेचने को तैयार है, जिसका मूल्य सात-आठ हज़ार रुपये बताया गया है|
- (घ) वक्ता ने उसे ऐसा करने से क्यों रोका?
वक्ता (कमला)
ने उसे ऐसा करने से रोका क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी विदा के लिए उसका भाई
(प्रमोद) घर बेचे| उसने प्रमोद को अपने
सुख-सुहाग की सौगंध दिलाई और याद दिलाया कि साल-दो साल में उसकी छोटी बहन विमला का
विवाह भी करना है|
(x) 'धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा, भैया। माँ जी तो ममता की मूर्ति हैं ही, बाबूजी जरा
जिद्दी स्वभाव के हैं। समय के साथ वे भी सब भूल जाएँगे।'
- (क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं? धीरे-धीरे कौन-सी बात ठीक हो जाने की संभावना व्यक्त
की जा रही है?
वक्ता कमला है और श्रोता उसका भाई प्रमोद है| धीरे-धीरे दहेज को लेकर बना गतिरोध और कमला की ससुराल में उसकी स्थिति ठीक हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जिससे उसकी
विदा हो सके|
- (ख) 'माँ जी' के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
'माँ जी' (राजेश्वरी) के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- वह ममता की मूर्ति हैं|
- वह संवेदनशील और दयालु हैं, एक माँ के दिल की
पीड़ा को समझती हैं|
- वह दहेज प्रथा के
खिलाफ हैं और अपने पति की जिद से असहमत रहती हैं|
- वह अपनी बहू कमला को
अपनी बेटी की तरह मानती हैं और उसकी विदा कराने के लिए खुद रुपये देने को
तैयार हो जाती हैं|
- वह अपने पति जीवनलाल
को समझाने का प्रयास करती हैं, हालाँकि वह असफल रहती हैं|
- (ग) 'बाबूजी' के किस व्यवहार से उनके जिद्दी होने का आभास होता है? उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
'बाबूजी' (जीवनलाल) के दहेज की माँग पर अड़े रहने और बहू की विदा न करने के व्यवहार से उनके जिद्दी होने का आभास होता है| वह अपनी बात पर अटल रहता है और पत्नी राजेश्वरी या प्रमोद
की कोई बात नहीं सुनता| उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश
डालें तो वे एक दहेज-लोभी, अहंकारी और सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति अत्यधिक जागरूक व्यक्ति हैं, जो धन और दिखावे को मानवीय संबंधों से ऊपर रखते हैं|
- (घ) बाबूजी को कौन-सी बात खल रही थी? 'भैया' उनकी
शिकायत दूर करने के लिए क्या करने से तैयार था?
बाबूजी
(जीवनलाल) को यह बात खल रही थी कि प्रमोद के परिवार ने दहेज पूरा नहीं दिया और
बारात की खातिरदारी भी ठीक से नहीं की, जिससे उसकी सामाजिक
प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची और अपमान हुआ| 'भैया' (प्रमोद) उनकी शिकायत दूर करने के लिए पाँच हज़ार रुपये देने को तैयार था, जिसके लिए वह अपना मकान तक
बेचने को राजी था|
(xi) 'बस! मैं देती हूँ तुम्हें
रुपये। उनके मुँह पर मारकर कहना कि यह लो कागज के रंग-बिरंगे टुकड़े जिन्हें तुम
आदमी से ज्यादा प्यार करते हो। (उठकर सामने वाले द्वार की ओर बढ़ती हुई) मैं अभी
लाती हूँ।'
- (क) कौन रुपये देने की बात कर रही है? और किसके मुँह पर कागज के टुकड़े फेंके जाने हैं? वक्ता का परिचय दीजिए।
राजेश्वरी (जीवनलाल की पत्नी) रुपये देने की बात कर रही है| ये रुपये जीवनलाल (अपने पति) के मुँह पर 'कागज़ के रंग-बिरंगे टुकड़े' के रूप में फेंके जाने हैं| वक्ता (राजेश्वरी) जीवनलाल की
पत्नी है,
जिसकी आयु छियालीस वर्ष है| वह ममतामयी और संवेदनशील स्वभाव की महिला है, जो दहेज प्रथा
का विरोध करती है और अपनी बहू कमला को अपनी बेटी के समान मानती है|
- (ख) यहाँ रंग-बिरंगे टुकड़ों से क्या अभिप्राय है? कुछ लोग इनके पीछे क्यों भागते हैं? अपने विचार प्रकट कीजिए।
यहाँ 'रंग-बिरंगे टुकड़ों' से अभिप्राय रुपयों या धन से है| कुछ लोग इनके पीछे इसलिए भागते हैं क्योंकि वे
इसे सामाजिक प्रतिष्ठा, शक्ति, और सुख का साधन मानते हैं| वे लोभ और स्वार्थ के वशीभूत होकर धन को मानवीय संबंधों और
मूल्यों से अधिक महत्व देते हैं| अपने विचार: धन आवश्यक है, लेकिन जब यह मनुष्य को अंधा कर दे और उसे रिश्तों और मानवीय
संवेदनाओं से ऊपर समझने लगे, तो यह समाज में कई बुराइयों
को जन्म देता है, जैसे कि दहेज प्रथा| धन के पीछे
अंधी दौड़ व्यक्ति को स्वार्थी और हृदयहीन बना सकती है|
- (ग) उपर्युक्त पंक्तियों में समाज की किस विकृति की ओर संकेत किया
गया है?
उपर्युक्त पंक्तियों में समाज की दहेज प्रथा और धन को मनुष्य से अधिक महत्व देने की विकृति की ओर संकेत किया गया है| यह दर्शाता है
कि कैसे लोग धन के लालच में मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों की अवहेलना करते हैं|
- (घ) 'बहू की
विदा' एकांकी का संदेश स्पष्ट कीजिए।
'बहू की विदा' एकांकी का मुख्य संदेश यह है कि दहेज प्रथा एक अभिशाप है और इसे समाज से समाप्त किया जाना चाहिए| एकांकीकार यह
संदेश देना चाहता है कि बेटी और बहू को एक समान
समझना चाहिए और उनके बीच कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए| जब तक समाज में यह सोच नहीं आती, तब तक किसी को न तो सुख मिलेगा और न ही शांति| मानवीय संबंधों और मूल्यों को भौतिक धन से ऊपर रखना चाहिए|
(xii) 'ठीक ही कहा है आपने। आज के युग में पैसा ही नाक और मूँछ है।
जिसके पास पैसा नहीं वह नाक-मूँछ होते हुए भी नकटा है, मूँछ-कटा है।'
- (क) वक्ता और श्रोता कौन है? वह किस बात पर व्यंग्य कर रहा है?
वक्ता प्रमोद है और श्रोता जीवनलाल है| वह इस बात पर व्यंग्य कर रहा है कि आज के युग में धन को ही सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक माना जाता है, और जिसके पास धन नहीं होता, उसे समाज में
नीचा देखा जाता है| यह व्यंग्य जीवनलाल की
दहेज-प्रेमी मानसिकता और उसकी अपनी 'ऊँची मूँछ' (प्रतिष्ठा) पर आधारित घमंड पर है|
- (ख) उपर्युक्त पंक्तियों में आज के युग में किस बुराई की ओर संकेत
किया गया है?
स्पष्ट कीजिए।
उपर्युक्त पंक्तियों में आज के युग की भौतिकवाद, धनलोलुपता और दहेज प्रथा की बुराई की ओर संकेत किया
गया है| इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि समाज में
नैतिकता का पतन हो गया है और लोगों की कीमत उनके धन से आँकी जाती है, न कि उनके मानवीय गुणों से|
- (ग) क्या आप वक्ता की बात से सहमत हैं? कारण सहित उत्तर दीजिए।
नहीं, मैं वक्ता की बात से सहमत नहीं हूँ| यद्यपि वक्ता (प्रमोद) ने
समाज की कड़वी सच्चाई को व्यक्त किया है कि लोग धन को अधिक महत्व देते हैं, लेकिन यह एक बुराई है न कि स्वीकार्य सत्य| मनुष्य का
सम्मान उसके चरित्र, कर्म और मानवीय गुणों से होना चाहिए, न कि उसके पास मौजूद धन से| पैसे को नाक-मूँछ (प्रतिष्ठा) मानना एक विकृत सोच है जो समाज को खोखला करती
है|
- (घ) 'बहू की
विदा' एकांकी द्वारा एकांकीकार ने क्या संदेश दिया है?
'बहू की विदा' एकांकी द्वारा एकांकीकार ने यह संदेश दिया है कि दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप है जिसे समाप्त किया जाना चाहिए| उन्होंने यह भी दर्शाया है कि बेटियों और बहुओं के साथ
समान व्यवहार होना चाहिए, और धन को मानवीय रिश्तों पर
हावी नहीं होने देना चाहिए| जब तक समाज में यह समानता
और मानवीयता नहीं आती, तब तक सुख और शांति संभव नहीं है|
(xiii) (बिगड़कर) 'हमने तो जीवनभर
की कमाई दे दी और उनकी नजर में दहेज पूरा नहीं दिया गया। लोभी कहीं के!'
- (क) उपर्युक्त वाक्य का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उपर्युक्त वाक्य का संदर्भ यह है कि जीवनलाल का बेटा रमेश जब अपनी बहन गौरी को विदा
कराने उसकी ससुराल से लौटता है और बताता है कि गौरी की विदा नहीं हुई क्योंकि दहेज
पूरा नहीं दिया गया था| इस बात को सुनकर जीवनलाल
क्रोधित होकर गौरी की ससुराल वालों पर यह आरोप लगाता है|
- (ख) किसने जीवनभर की कमाई किसे दे दी और क्यों?
जीवनलाल ने
अपनी जीवनभर की कमाई (दहेज के रूप में) अपनी बेटी गौरी की ससुराल वालों को दी थी| उन्होंने यह सब अपनी बेटी की खुशहाली और अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बनाए रखने के
लिए दिया था|
- (ग) दहेज के दुष्प्रभाव पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
दहेज प्रथा के
दुष्प्रभाव अत्यंत विनाशकारी होते हैं| यह लड़कियों
को बोझ समझने की मानसिकता को बढ़ावा देती है और उन्हें शिक्षा एवं अन्य अवसरों से
वंचित करती है| कई बार दहेज की माँग पूरी न होने पर वधू को
मानसिक और शारीरिक यातनाएँ सहनी पड़ती हैं, यहाँ तक कि उसकी जान भी चली
जाती है| यह परिवारों को आर्थिक रूप से तोड़ देती है और
रिश्तों में कड़वाहट पैदा करती है| एकांकी में
जीवनलाल और प्रमोद दोनों ही इस कुप्रथा के शिकार होते हैं, जो इसके व्यापक नकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है|
- (घ) 'लोभी' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? उसका परिचय दीजिए।
'लोभी' शब्द का प्रयोग गौरी के ससुराल वालों के लिए किया गया है| एकांकी में उनका विस्तृत
परिचय नहीं दिया गया है, लेकिन वे ऐसे पात्र हैं जो दहेज के लालची हैं और जीवनलाल से
पूरा दहेज न मिलने पर उसकी बेटी गौरी की विदा करने से इनकार कर देते हैं|
(xiv) 'अब भी आँखें नहीं खुलीं? जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए तुम दूसरों से चाहते हो वही दूसरे की बेटी को भी
दो। जब तक बहू और बेटी को एक-सा नहीं समझोगे, न तुम्हें सुख
मिलेगा और न शांति!'
- (क) किसकी आँखें नहीं खुलीं और क्यों?
जीवनलाल की आँखें नहीं खुली थीं| अपनी बेटी
गौरी की विदा न होने पर भी वह अपने दहेज-लोभ और बेटी व बहू के प्रति दोहरे व्यवहार
की गलती को नहीं समझ पा रहा था| वह अब भी अपनी
बेटी के अपमान को अपनी शान पर चोट मान रहा था, लेकिन अपनी बहू के साथ किए
गए अन्याय को नहीं देख पा रहा था|
- (ख) उपर्युक्त अवतरण का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उपर्युक्त अवतरण का संदर्भ यह है कि जब जीवनलाल की बेटी गौरी की विदा दहेज पूरा न मिलने
के कारण नहीं हो पाती और रमेश खाली हाथ लौट आता है, तो जीवनलाल
क्रोधित होकर गौरी के ससुराल वालों को लोभी कहता है| इस पर राजेश्वरी जीवनलाल को उसकी दोहरी मानसिकता और पाखंड के लिए
फटकारते हुए यह बात कहती है, कि वह अपनी बेटी के लिए जो
व्यवहार चाहता है, वही उसे दूसरे की बेटी (अपनी बहू) के लिए भी देना चाहिए|
- (ग) वक्ता कौन है? उसके चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
वक्ता राजेश्वरी है| उसके चरित्र की विशेषताएँ
हैं:
- वह ममतामयी और संवेदनशील महिला है, जो मानवीय संवेदनाओं
को महत्व देती है|
- वह दहेज प्रथा की विरोधी है और इसके
दुष्प्रभावों को भली-भांति समझती है|
- वह न्यायप्रिय और मुखर है, अपने पति जीवनलाल के
गलत व्यवहार और दोहरी मानसिकता पर सवाल उठाने की हिम्मत रखती है|
- वह अपनी बहू कमला को
अपनी बेटी के समान मानती है और उसकी विदा कराने के लिए हर संभव प्रयास करती
है|
- वह दृढ़ निश्चयी है और अंततः जीवनलाल
के हृदय परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है|
(xv) 'बहू और बेटी! बेटी और बहू!! अजीब उलझन है। कुछ समझ में नहीं
आता।'
- (क) वक्ता और श्रोता कौन है? कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
वक्ता जीवनलाल है| श्रोता स्पष्ट रूप से
उल्लिखित नहीं है, पर यह कथन वह अपनी पत्नी राजेश्वरी से बातें करने और अपनी
बेटी की विदा न होने के बाद आत्ममंथन के संदर्भ में कहता है| राजेश्वरी द्वारा उसे अपनी
दोहरी मानसिकता पर आईना दिखाने और अपनी बेटी गौरी की विदा न होने से मिले झटके के
बाद वह इस उलझन में पड़ जाता है|
- (ख) वक्ता की क्या उलझन है? इस उलझन का क्या परिणाम हुआ?
वक्ता
(जीवनलाल) की उलझन यह है कि बेटी और बहू के बीच क्या
अंतर है और उनके प्रति अलग-अलग व्यवहार क्यों किया जाता है| जब उसकी अपनी बेटी गौरी की विदा दहेज के कारण रोक दी गई, तो उसे अपनी बहू कमला के साथ किए गए व्यवहार की गलती का एहसास हुआ| इस उलझन का परिणाम यह हुआ कि जीवनलाल का हृदय परिवर्तन
हो गया| उसने अपनी
गलती को स्वीकार किया और बिना दहेज के कमला की विदा करने का निर्णय लिया|
- (ग) बेटी और बहू कौन हैं? आजकल बेटी और बहू में क्यों तथा किस प्रकार अंतर किया
जाता है?
यहाँ 'बेटी' से आशय गौरी (जीवनलाल की बेटी) से है, और 'बहू' से आशय कमला (जीवनलाल की बहू) से है| आजकल बेटी और बहू में अंतर
मुख्य रूप से दहेज प्रथा और पितृसत्तात्मक सोच के कारण किया जाता है| बेटियों को अक्सर विवाह के
बाद दूसरे घर जाने वाली 'परछाई' और दहेज के बोझ के रूप में
देखा जाता है, जबकि बहू को दूसरे घर से आई हुई 'संपत्ति' या धन (दहेज) प्राप्त करने का माध्यम समझा जाता है| इस अंतर के कारण अक्सर बेटियों को लाड़-प्यार मिलता है
लेकिन बहुओं से कठोरता से पेश आया जाता है, उन्हें शारीरिक और मानसिक
उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है, और उनसे और अधिक दहेज की
उम्मीद की जाती है|
- (घ) दहेज प्रथा को रोकने के लिए कुछ सुझाव दीजिए।
दहेज प्रथा को
रोकने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
- कठोर कानून और उनका
प्रभावी क्रियान्वयन: दहेज निषेध अधिनियम का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए|
- शिक्षा और जागरूकता
अभियान: लोगों को दहेज के
दुष्प्रभावों और लैंगिक समानता के महत्व के बारे में शिक्षित करना चाहिए|
- महिलाओं को
आत्मनिर्भर बनाना: लड़कियों को शिक्षित
और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाकर उन्हें सशक्त करना, ताकि वे दहेज के बिना
विवाह करने का निर्णय ले सकें|
- सामाजिक बहिष्कार: दहेज लेने या देने
वाले परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए ताकि ऐसे कृत्यों को
हतोत्साहित किया जा सके|
- सादे विवाह को
बढ़ावा: समाज में सादे और
दहेज-मुक्त विवाहों को प्रोत्साहित करना चाहिए|
- बेटियों और बहुओं को
समान सम्मान: परिवारों में यह
मानसिकता विकसित करना कि बेटी और बहू में कोई अंतर नहीं है, दोनों को समान प्यार
और सम्मान मिलना चाहिए|
(xvi) 'कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा। (राजेश्वरी की ओर मुड़कर) अरे, खड़ी-खड़ी
हमारा मुँह क्या ताक रही हो? अंदर जाकर
तैयारी क्यों नहीं करतीं? बहू की विदा नहीं करनी है
क्या?'
- (क) 'कभी-कभी
चोट भी मरहम का काम कर जाती है।' वाक्य का
आशय स्पष्ट कीजिए।
'कभी-कभी चोट भी मरहम का काम
कर जाती है' वाक्य का आशय यह है कि कभी-कभी किसी अप्रिय या पीड़ादायक घटना (चोट) के अनुभव से व्यक्ति को अपनी
गलतियों का एहसास होता है और वह सुधर जाता है, जिससे पुरानी समस्याओं या
मानसिक घावों (मरहम) का समाधान होता है| यहाँ, गौरी की विदा न होने की चोट ने जीवनलाल के दहेज-लोभी हृदय को बदल दिया और उसे
बहू की विदा के लिए तैयार कर दिया|
- (ख) उपर्युक्त वाक्य किसने, किससे कहे और कब?
उपर्युक्त वाक्य जीवनलाल ने प्रमोद से तब कहे जब गौरी की विदा दहेज के कारण रुक जाने से उसे अपनी गलती का एहसास हो
गया और प्रमोद कमला की विदा के लिए फिर से 'मरहम' (रुपये) लाने की बात कहकर जाने लगा| जीवनलाल ने
प्रमोद को रुकने के लिए कहा और स्वीकार किया कि उसकी चोट का इलाज दूसरी चोट से हो
गया है|
- (ग) 'चोट और
मरहम' शब्दों का प्रयोग किन-किन संदर्भों में किया गया है?
'चोट' (घाव) शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से दो संदर्भों में किया गया है:
1. पहला संदर्भ: जीवनलाल को दहेज पूरा न मिलने और बारात की
खातिरदारी ठीक से न होने पर जो मानसिक अपमान और प्रतिष्ठा
पर ठेस लगी थी, उसे वह 'करारी चोट का घाव' कहता है|
2. दूसरा संदर्भ: उसकी बेटी गौरी की विदा दहेज के कारण रोक दिए
जाने पर जीवनलाल को जो गहरा आघात और पीड़ा मिली, उसे भी 'चोट' कहा गया है|
'मरहम' (दवा) शब्द का प्रयोग भी दो संदर्भों में हुआ है:
1. पहला संदर्भ: जीवनलाल ने अपनी 'चोट' को ठीक करने के लिए प्रमोद से जो पाँच हज़ार रुपये नकद माँगे थे, उसे 'मरहम' कहा गया|
2. दूसरा संदर्भ: अंततः, गौरी की विदा न होने से
जीवनलाल को मिली 'चोट'
ने उसे अपनी गलती का एहसास कराया और उसके हृदय में परिवर्तन
लाया, जिससे उसका दहेज-लोभ (पहला घाव) ठीक हो गया| यह हृदय परिवर्तन और आत्मज्ञान ही दूसरे अर्थ में 'मरहम' का काम कर गया|
- (घ) जीवनलाल का हृदय परिवर्तन कैसे हुआ?
जीवनलाल का
हृदय परिवर्तन तब हुआ जब उसकी अपनी बेटी गौरी की
विदा दहेज पूरा न मिलने के कारण रोक दी गई| रमेश के खाली हाथ लौटने और
गौरी के ससुराल वालों द्वारा दहेज की माँग के बारे में सुनकर जीवनलाल को अपनी बहू
कमला के प्रति किए गए अपने ही व्यवहार की गलती का एहसास हुआ| उसकी पत्नी राजेश्वरी के तीखे और सच्चाई भरे वचनों ने भी
उसे अपनी दोहरी मानसिकता पर विचार करने के लिए मजबूर किया| इस 'चोट' ने उसे अहसास कराया कि बेटी और बहू को एक समान समझना चाहिए, और इस प्रकार उसका हृदय परिवर्तित हो गया|