मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) कवि ने मन, ज्ञान और शीश के
कैसे होने की कामना की है?
कवि ने मन को निर्भय, ज्ञान को मुक्त और शीश
को ऊँचा होने की कामना की है।
(ख) कैसी धरती को हम बंदी कह सकते
हैं ?
आँगन और घर की दीवारों से घिरी धरती की को
हम बंदी कह सकते हैं।
(ग) कवि ने हृदय के उत्साह की तुलना
किससे की है और क्यों?
कवि ने हृदय के उत्साह की तुलना झरने से की
है क्योंकि हृदय में भी निरंतर वाक्य फूट-फूट पड़ते हैं।
लिखित
1. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय
स्पष्ट कीजिए -
जहाँ तुम्हीं कर्ता हो सारे
ही कर्मों के,
जहाँ तुम्हीं नेता हो सारे
आनंदों के,
ऐसे आदर्शों को हे परम् पिता,
अपने हाथों से निर्भय साकार
करो,
भावार्थ - हे परम पिता, सारे कर्मों के कर्ता
तुम्ही हो और सारे आनंदो के नेता भी तुम्ही हो, ऐसे आदर्शों को हे परम पिता, अपने हाथों
से निर्भय होकर साकार करो । हे प्रभु तुम्हीं इस सृष्टि के कर्ता - धर्ता हो तुम्ही
अपने हाथों से इसे साकार करो। अपनी इच्छा से जो चाहते हो वो करो |
2. मूल्य आधारित प्रश्न-
(क) ‘ऊँचा हो शीश जहाँ'- हमें अपने
देश का शीश ऊँचा करने के लिए क्या करना चाहिए?
हमें अपने देश का शीश ऊँचा करने के लिए नवीन
आदर्शों को अपनाते हुए अपने मन को निर्भय कर, ज्ञान मुक्त हो अपने विचारों को बदल कर
अपनी भावनाओं को व्यक्त करना होगा। अपने कार्यों के लिए स्वतंत्र रूप से चयन करना होगा
। हर एक व्यक्ति के मन में प्यार और एकता की भावना होनी चाहिए तभी हमारा शीश ऊँचा रहेगा
|
(ख) कविता में भारत को 'स्वर्ग'
बनाने की अभिलाषा व्यक्त की गई है। इसके लिए हमें 'नरक' से निकलना भी जरूरी है। आपके
अनुसार हमारे देश की वे कौन-सी स्थितियाँ हैं, जिनकी तुलना हम 'नरक' से कर सकते हैं
और जिनसे बाहर निकले बिना हम ‘स्वर्ग' का निर्माण नहीं कर सकते।
हमारे देश में भ्रष्टाचार, अमीरी-गरीबी, ऊँच-नीच
की भावना, जात-पात इसकी तुलना नरक से कर सकते हैं| इन सबके रहते हम कभी स्वर्ग का निर्माण
नहीं कर सकते हैं।