- अगर तुम्हें कोई ज्यादा दे, तो अवश्य चले जाओ। मैं तनख्वाह नहीं बढ़ाऊँगा।
(क) वक्ता कौन है ? उसका परिचय दीजिए। उसने उपर्युक्त वाक्य किस संदर्भ में कहा है?
उत्तर — वक्ता बाबू जगतसिंह हैं। वे एक इंजीनियर हैं, समाज में उनका मान-सम्मान है। जब रसीला ने बार-बार वेतन बढ़ाने की प्रार्थना की. तब उन्होंने कहा ।
(ख) श्रोता कौन है? उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना क्यों की?
उत्तर- श्रोता रसीला है। उसने तनख्वाह बढाने की प्रार्थना की क्योंकि इतने कम पैसे से उसके परिवार का गुजारा न होता था।
(ग) वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी क्यों नहीं छोड़ना चाहता था ?
उत्तर- वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी छोड़ना नहीं चाहते था क्योंकि अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते और न ही आदर | लेकिन इंजीनियर बाबू के यहाँ किसी ने कभी भी उसमे संदेह नहीं किया। यहाँ सभी उसका आदर करते थे।
(घ) रसीला को रूपयों की आवश्यकता क्यों थी? उसकी सहायता किसने की? सहायता करने वाले के संबंध में उसने क्या विचार किया?
उत्तर — रसीला को रूपयों की आवश्यकता थी क्योंकि गाँव में उसके बच्चे बीमार थे। उसकी सहायता रमजान ने की जो उसका दोस्त था । सहायता करने वाले के संबंध में उसने सोचा रमजान को देखो गरीब है, परंतु आदमी नहीं, देवता है। ईश्वर उसका भला करे।
२. बाबू साहब की मैंने इतनी सेवा की, पर दुख में उन्होंने साथ नहीं दिया।
(क) बाबू साहब कौन थे ? उसका परिचय दीजिए ।
उत्तर- बाबू साहब इंजीनियर बाबू जगतसिंह हैं। वे एक इंजीनियर थे और समाज में उनका बहुत मान — सम्मान था ।
ख) वक्ता को कितना वेतन मिलता था? उसमें उसका गुजारा क्यों नहीं हो पाता था?
उत्तर — वक्ता को दस रुपए वेतन मिलता था। उसमें उसका गुजारा नहीं हो पाता था क्योंकि उसका परिवार बहुत बड़ा था |
(ग) बाबू साहब द्वारा वक्ता का वेतन न बढ़ाए जाने पर भी वह कहीं और नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था ?
उत्तर- बाबू साहब द्वारा वक्ता का वेतन न बढ़ाए जाने पर भी वह कहीं और नौकरी नहीं करना चाहता था, क्योंकि अमीर लोग नौकरो पर विश्वास नहीं करते लेकिन किसी ने आज तक उसपर संदेह नहीं किया था। यहाँ कम वेतन था लेकिन आदर मिलता था।
(घ) वक्ता की परेशानी को किसने, किस प्रकार हल किया? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर — रसीला की परेशानी को उसके दोस्त रमजान ने हल किया। उसने कुछ रुपए रसीला को दिया जिसे वह गाँव भेज सका । इससे पता चलता है कि रमजान रसीला का सच्चा मित्र था। जिसने रसीला के दुख को समझा और समय पर उसकी मदद की।
3 “बस पाँच सौ ? इतनी सी रकम देकर आप मेरा अपमान कर रहे हैं। हुजूर मान जाइए। आप समझे आपने मेरा काम मुफ्त किया है।”
(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं? उनके कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए ।.
उत्तर — वक्ता बाबू जगतसिंह हैं और श्रोता रसीला है, जो उसके यहाँ नौकर है।
एक दिन बाबू जगतसिंह अपने किसी काम के लिए एक व्यक्ति से रिश्वत ले रहा था। वह उसे पाँच सौ रूपए दे रहा था, जो उस काम के लिए बहुत कम था। तब बाबू जगतसिंह, ने कहा आप मुझे इतनी सी रकम देकर मेरा अपमान कर रहे हैं।
(ख) रसीला उनकी बातचीत को सुनकर क्या समझ गया और क्या सोचने लगा ?
उत्तर — रसीला उनकी बातचीत को सुनकर समझ गया कि भीतर रिश्वत ली जा रही है। सोचने लगा, “रुपया कमाने का यह कितना आसान तरीका है। मैं सारा दिन मजदूरी करता हूँ तब जाकर महीने में दस रूपाए हाथ आते हैं ।”
(ग) आप मेरा अपमान कर रहे हैं।- कथन से वक्ता का क्या संकेत था ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर — यहाँ वक्ता बाबू जगतसिंह हैं। वे रिश्वत लेकर काम करते थे। उसके किसी काम के लिए पाँच सौ रूपया बहुत कम था, वे अधिक की माँग कर रहे थे तब उन्होंने कहा आप इतनी-सी रकम देकर मेरा अपमान कर रहे हैं।
(घ) उपर्युक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त किस बुराई की ओर संकेत किया गया है? … इस बुराई का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर — उपर्युक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त रिश्वत लेकर काम करने जैसी बुराई की ओर संकेत किया गया है। इस बुराई का समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। समाज के उच्च और प्रतिष्ठित पदों पर आसीन लोग रिश्वत लेकर भी सम्मानित जीवन जीते हैं, जबकि एक निर्धन एक अठन्नी की हेरा-फेरी के जुर्म में छह महीने के कारावास का दंड भोगने पर मजबूर होता है.।
4 बस इतनी — सी बात ! हमारे शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं।
(क) वक्ता और श्रोता कौन — कौन हैं? दोनों का परिचय दीजिए।
उत्तर- वक्ता रमजान है और श्रोता रसीला है। रमजान एक चौकीदार है,। जो जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के यहाँ काम करता है। वह बहुत ही दयालु, ईमानदार मिलनसार व्यक्ति है और रसीला का सच्चा मित्र है। रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहाँ नौकर था। वह बहुत ईमानदार, परिश्रमी, सीधा सरल, मिलनसाथ व्यक्ति था। रमजान और, उसमें बहुत गहरी दोस्ती थी।
(ख) बस इतनी सी बात’- पंक्ति का व्यंग्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इस पंक्ति द्वारा समाज में सिर उठाकर जीने वाले प्रतिष्ठित और उच्च पदों पर नियुक्त लोगों पर प्रहार किया गया है। जो रिश्वत लेकर काम करना ही अपना कर्तव्य समझते हैं। यदि कम पैसा मिले तो ये लोग अपना अपमान समझते हैं। ऐसे लोग ही ऊँचे-ऊँचे महलों पर आराम से जीवन जीते हैं।
(ग) “शेख — साहब तो उनके भी गुरु हैं” वाक्य में ‘शेख साहब’ और ‘उनके’ शब्दों का प्रयोग किस-किसके लिए किया गया है?’ “उनके भी गुरु हैं” पंक्ति द्वारा क्या व्यंग्य किया गया है?
उत्तर — इस वाक्य में ‘शेख साहब का प्रयोग जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के लिए किया गया है। उनके का प्रयोग इंजीनियर बाबू जगतसिंह के लिए किया गया है। उनके भी गुरु हैं, व्यंग्य द्वारा बताया गया है कि इंजीनियर बाबू तो पाँच सौ से अधिक माँग कर काम करने को तैयार है पर मेरे मजिस्ट्रेट साहब तो हजार नहीं देने पर काम ही नहीं करेंगे।
(घ) वक्ता ने ‘शेख साहब’ के संदर्भ में श्रोता से अपनी विवशता के संबंध में क्या — क्या कहा ?
उत्तर — रमजान ने ‘शेख साहब’ के संदर्भ में रसीला से कहा भैया, गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी ही कमाई से कोठियों में रहते हैं और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता ।
5. “भैया, गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जानें, पर ऐसी ही कमाई से कोठियों में रहते हैं और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं आता।”
(क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे, कब और क्यों कहा है?
उत्तर- उपर्युक्त कथन रमजान ने रसीला से कहा। जब इंजीनियर बाबू भीतर किसी से रिश्वर ले रहे थे, रसीला ने उसे देख लिया और बाहर आकर रमजान को यह बात बताता है। क्योंकि रिश्वत लेकर ये लोग बड़े-बड़े कोठियों में आराम से रहते थे। कोई भय भी न था । समाज में मान-सम्मान सब कुछ था। हम परिश्रम करते है, ईमानदारी से काम करते है और हमारे हाथ कुछ न लगता ।
(ख) वक्ता का संकेत किस ‘गुनाह’ की ओर है? वह ‘गुनाह’ किसने किया था और कैसे?
उत्तर — वक्ता का संकेत रिश्वत लेकर काम करने वाले ‘गुनाह’ की ओर है। यह ‘गुनाह’ इंजीनियरः बाबू जगतसिंह और जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन साहब ने किया था। जिस काम को करने के लिए इन्हें तख्वाह मिलती थी, वे उसी काम को ईमानदारी से न करके रिश्वत ले कर करते थे और इसे ही अपना कर्तव्य समझते थे।
(ग) ऐसी ही कमाई’ दुवारा वक्ता समाज की किस बुराई पर क्या व्यंग्य कर रहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-‘ऐसी ही कमाई’ द्वारा वक्ता. समाज के उच्च और प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्त लोगों पर व्यंग्य किया है, जो अपना काम बिना रिश्वत लिए करते ही नहीं है और रिश्वत लेकर भी समाज में सम्मानित जीवन व्यतीत करते हैं।
(घ) वक्ता की यह बात सुनकर श्रोता के मन में कया विचार आए और क्यों ?
उत्तर- रमजान की यह बात सुनकर रसीला के मन में विचार आया । मेरे हाथ से सैकड़ों रूपार निकल गए पर धर्म न बिगड़ा। एक-एक आना भी उड़ाता तो काफी रकम जुड़ जाते। रसीला ने यह सोचा क्योंकि वह जितना कमाता था उससे उसके परिवार का गुजारा नहीं हो पाता था। अगर वह एक पैसे की भी हेरा-फेरी करता तो उसके पास बहुत पैसे रहते और वह अपने परिवार का पालन पोषण अच्छी.. तरह कर सकता था।
6 ‘रसीला ने तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसने कोई बहाना नहीं बनाया।’
(क) रसीला का मुकदमा किस की अदालत में पेश हुआ ? उनका परिचय दीजिए।
उत्तर — रसीला का मुकदमा शेख सलीमुद्दीन की अदालत में पेश हुआ। शेख सलीमुद्दीन जिला मजिस्ट्रेट थे। समाज ‘में उनका मान-सम्मान था | वे इंजीनियर बाबू जगतसिंह के परममित्र थे।
(ख) रसीला का क्या अपराध था? उसने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया इससे उसके चरित्र की किस विशेषता की ओर संकेत होता है?
उत्तर- रसीला ने एक अठन्नी की चोरी की थी यही उसका अपराध था। रसीला ने अपराध स्वीकार कर लिया क्योंकि उसमें झूठ बोलकर और एक अपराध करने की ताकत न थी। इससे पता चलता है कि वह एक ईमानदार, सीधा-साधा, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति था।
(ग) रसीला क्या-क्या बहाने बनाकर अपने को बेकसूर साबित कर सकता था, पर उसने ऐसा क्यों नहीं किया?
उत्तर — रसीला चाहता तो कह सकता था कि यह एक साज़िश है। मैं नौकरी नहीं करना चाहता इसलिए हलवाई के साथ मिलकर मुझे फँसा रहे हैं, पर एक और अपराध करने का साहस वह जुटा न पाया |
(घ) रसीला को कितनी सजा हुई? न्याय — व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर — रसीला को छह महीने की सज़ा हुई। न्याय- व्यवस्था को अंधा कहा गया है जो बिलकुल सही है। जिस न्यायलय में बैठ कर शेख सलीमुद्दीन ने रसीला को सजा सुनाई थी। उसी न्यायलय में वह . एक दिन पहले, जिस रूमाल में रिश्वत ली थी उसी से अपना चेहरा पोछ रहा था। उसका न्याय पैसे के बल पर होता था।
7 “फैसला सुनकर रमजान की आँखों में खून उतर आया ।“
(क) रमजान कौन था ? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर — रमजान जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के यहाँ चौकिदार था । वह एक सीधा-सादा, ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ और दयालु इंसान था। जिसने रसीला की पैसों से मद्द की थी।
(ख) फैसला किसने सुनाया था? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर — फैसला जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन ने सुनाया था । शेख सलीमुद्दीन समाज में एक
प्रतिष्ठित पद में नियुक्त थे। समाज में भी प्रतिष्ठा था। कोठियों में ऐश्व आराम से रहते थे। वे रिश्वत लेकर काम करना अपना कर्तव्य समझते थे। उच्च पद में होने का फायदा उठाते थे। गरीबों के प्रति दया भाव नहीं था । न्याय को खेल समझते थे।
(ग) फैसला सुनकर रमजान क्या सोचने लगा 2
उत्तर- फैसला सुनकर रमजान सोचने लगा, “यह दुनिया न्याय नगरी नहीं, अंधेर नगरी है। चोरी पकड़ी गई तो अपराध हो गया। असली अपराधी बड़ी-बड़ी कोठियों में बैठकर दोनों हाथों से धन बटोर रहे हैं। उन्हें कोई नहीं पकड़ता ।”
(घ) ‘बात अठन्नी की’ कहानी द्वारा लेखक ने क्या सन्देश दिया है?
उत्तर- इस कहानी द्वारा लेखक ने न्याय व्यवस्था पर व्यंग्य किया है साथ ही समाज में रहने वाले उच्च और प्रतिष्ठित पदों में नियुक्त लोगों पर भी प्रहार किया है, जो रिश्वत लेकर भी सम्मानित जीवन व्यतीत करते हैं और एक निर्धन व्यक्ति केवल एक अठन्नी की हेरा-फेरी के जुर्म में छह महीने के कारावास का दंड भोगने को मजबूर है।
Sahitya Sagar Workbook Questions and Answers